
एक शिक्षक और एक छात्र के बीच का रिश्ता अनोखा और महत्वपूर्ण होता है जो कक्षा की दीवारों से परे तक फैला हुआ होता है। यह रिश्ता विश्वास, सम्मान और शिक्षा के प्रति साझा प्रेम से बना होता है। ऐसा ही कुछ रिश्ता अपने विद्यार्थियों से डा संतन कुमार राम ने बनाया था। उनके क्षेत्रीय निदेशक बन जानें के उपलक्ष में विद्यार्थियों ने उनके विदाई समारोह(जेहि मोहि पंथ दीन्ह उजियारा) का भव्य आयोजन किया।
इस अवसर पर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। उनके लिए अभिनंदन पत्र पढ़ा गया। उनसे जुड़ी यादों की फिल्म दिखाई गई और विद्यार्थीयों ने उनसे जुड़ी यादों को साझा किया। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी डा शिवकुमार ने कहा कि डा संतन कुमार राम महाविद्यालय में हमेशा नवोन्मेषी प्रयोग के लिए याद किए जाएंगे। उनके साथ मैने बहुत सी यात्राएं की हैं। डा संगीता मौर्य ने कहा कि संतन जी को देखकर हर अध्यापक अपना स्व का मूल्याकंन कर सकता है। उन्होंने इस महाविद्यालय में अध्यापन का मानक स्थापित किया है। डा निरंजन कुमार यादव ने कहा कि संतन जी मौलिक प्रतिभा के प्रमाण हैं। वह रिश्तों को बखूबी जीते थे । उनके पास कोई काम लेकर चला जाए वह तत्काल मदद करते थे। आज के समय में संत का मिलना दुर्लभ है वह तो संतों के समुच्चय संतन है। प्राचार्य अनीता कुमारी ने कहा कि संतन जी जहां कहीं भी रहेंगे अपनी कारयित्री प्रतिभा से समाज में रोशनी फैलाएंगे।
इस अवसर पर श्रेया मौर्य, बुशरा, दिव्या, श्रेया गुप्ता, कनीज, शबनम आदि छात्राओं ने भी अपनी भाव पूर्ण अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर कार्यक्रम को भाउक बना दिया। डा संतन कुमार राम ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो प्रेम और स्नेह राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने दिया है उसे ताउम्र नहीं भूल सकता। चाहे मैं जहां रहूं यहां के लोग और यहां के विद्यार्थियों को सदा याद रखूंगा। मैंने इस महाविद्यालय को जिया है। मेरी इच्छा यही है कि यह महाविद्यालय अपनी यश पताका को यूं ही लहराता रहे। इस अवसर पर डॉ घनश्याम कुशवाहा,डा विकास सिंह, सारिका सिंह, मनीष सोनकर, अकबरे आज़म, इकलाख खान, प्रिया निरंजन, श्रीमती आराधना के साथ महाविद्यालय परिवार के सभी सम्मानित सदस्य तथा भूगोल परिषद की छात्राएं मौजूद रहीं