
प्रयागराज 19 अप्रैल।वरिष्ठतम नेता पूर्व सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह ने देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी व धर्मनिरपेक्ष स्वरूप जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाने के बाद न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की चेतावनी देश को तानाशाही कि ओर ले जा रहा हैं।उन्होंने कहा कि पूर्व विधि मंत्री व उपराष्ट्रपति द्वारा प्रजातांत्रिक प्रणाली को खुली चुनौती दी है इतिहास गवाह हैं कि विधायकी द्वारा असंवैधानिक नियम में न्यायपालिका ने हस्तक्षेप किया है और कार्यपालिका ने उसका संशोधन किया लेकिन इन चेतावनी से यह संदेश है कि जो संविधान में अनुच्छेद50के तहत न्यायपालिका को स्वतंत्रता दी गई हैं वो खतरे में है।पूर्व सांसद ने कहा कि राष्ट्रपति निष्पक्ष स्वत्रंत प्रधान के रूप में संविधान की सुरक्षा करेंगे परन्तु लगता हैं कि उपराष्ट्रपति विधायकी व संसद के प्रवक्ता बन राष्ट्रपति की पैरवी कर रहे हैं।शायद इन लोगों को मालूम नहीं कि संविधान की मंशा स्पष्ट है कि माननीय उच्चतम न्यायालय को विधायकी के संबंध में राष्ट्रपति से ऊपर रखा गया है उन्होंने कहा कि अनुच्छेद144-ए में 42वें संशोधन द्वारा जोड़कर एक स्पेशल प्राविधान बनाया गया है जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय को किसी भी कानून की संवैधानिकता देखने का सर्वोच्च अधिकार हैं।यदि ऐसा ना होता तो श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी सशक्त प्रधानमंत्री के चुनाव को इलाहाबाद उच्च न्यायालय निरस्त ना करता।
सांसद प्रतिनिधि विनय कुशवाहा ने बताया कि वरिष्ठतम राजनीतिक कुंवर रेवती रमण सिंह ने कहा कि आज के हालात इमरजेंसी से भी बत्तर हैं ईडी सीबीआई बुलडोजर से विपक्ष को डराया धमकाया जा रहा है अब तो न्यायपालिका को भी खुली चुनौती दी जा रही हैं वफ्फ बोर्ड जैसे मुद्दे पर।