पिता जब तक थे
व्यक्ति के होने में
और उसके होने के
एहसास में
बड़ा फर्क है।
घर की देहरी पर
खेत की पगडंडी पर
पंपिंग सेट की तखत पर
तालाब के किनारे
गाढें सकारे
उनके होने में
और होने के एहसास में
बड़ा फर्क है।
समर्थन में, विरोध में,
रास्ते के
कभी-कभी अवरोध में
जिद में, स्वप्न में, नींद में,
जो पसंद नहीं
पिता पर टालने में
जैसे-तैसे उनका संभालने में
उनका पास होने में
और पास होने के एहसास में
बड़ा फर्क है।
कहते हैं
दादा
पोते के रूप में लौट आते हैं
बेटा मेरा मेरे जैसा है
मैं पिता जैसा हूं
पर पिता के होने में
पिता के बेटे के रूप में होने में
बड़ा फर्क है।
पिता जब तक थे
कुछ खास न थे
अब नहीं हैं
इस ख्याल से
आंखें भर जाती हैं
फिर ख्वाइशें मर जाती हैं
बड़े का होने में
स्वयं बड़ा होने में
बड़ा फर्क है।