*⏩शिक्षित, स्वास्थ्य, शिष्टाचारी व शक्तिशाली औलादें ही श्रवण कुमार जैसा माता-पिता को दे सकती हैं सम्मान*
*⏩चार धाम यात्रा के बाद ऑपरेशन विजय प्रमुख ने देशवासियों को दिया आहम संदेश*
*⏩ शिवमंगल सिंह के एमटेक व एलएलएम बेटों में एक ने कराई चार धाम की यात्रा तो दूसरे ने चरण धुलाई कर ग्रहण किया चरणामृत*
*⏩देशवासी अपने पूरे जीवन को सम्मानजनक बिताने हेतु खुद शिक्षित, शिष्टाचारी, शक्तिशाली व आत्मनिर्भर बने*
*⏩माता-पिता अपने बेसिक कर्तव्य करते हुए दौलत इकट्ठे की वजाय, अपनी औलादों को शिक्षित, शिष्टाचारी व शक्तिशाली बनाएं*
गैर राजनीतिक, देशव्यापी, देश के कई महामहिमों द्वारा सराहनीय एवं समाज से सभी सामाजिक बुराइयों को जड़ से मिटाने हेतु 2011 से संघर्षरत ऑपरेशन विजय बुराइयों के खिलाफ जंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवमंगल सिंह (आई.पी.) ने अपने अभियान को नई गति देने हेतु “चार धाम की यात्रा” कर देशवासियों को एक अहम संदेश दिया।
अपने संदेश में उन्होंने कहा कि जिस तरह से हमारे उच्च शिक्षित एवं शिष्टाचारी बेटे विवेश यादव जिसने बीटेक के बाद एलएलबी व एलएलएम की डिग्री कर आज निशुल्क उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं अन्य न्यायालयों में समाज के पीड़ित एवं न्याय से वंचित लोगों को निशुल्क न्याय दिलाने का काम किया जा रहा हैं, वही दूसरा बेटा विजय प्रताप सिंह जिसने एमटेक के बाद एलएलबी की जो अपने बड़े भाई विवेश यादव एवं हमारे सिद्धांतों पर चलते हुए आम जनता के लिए दिन रात लगातार काम कर रहे हैं। उन दोनों ने मिलकर जहां विजय प्रताप सिंह ने हमें गाड़ी के माध्यम से श्रवण कुमार की तरह चार धामों की विधिवत यात्रा कराई, वहीं बड़े बेटे विवेश यादव ने चार धाम यात्रा से लौटने के बाद अपनी पत्नी एवं बच्चों के साथ मिलकर हम दोनों के चरणों को धुलाई कर उसी जल को चरणामृत के रूप में ग्रहण कर इस कलयुग में भी अपने आप को श्रवण कुमार बन कर दिखाया, जो युवा समाज के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए ऑपरेशन विजय सुप्रीमों शिवमंगल सिंह आईपी ने कहा कि सभी देशवासियों को अपने पूरे जीवन को सम्मानजनक बताने हेतु स्वयं शिक्षित, शिष्टाचारी व शक्तिशाली होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनना चाहिए, और अपने जीवन में अपने बेसिक कर्तव्यों को करते हुए धन-दौलत ज्यादा इकट्ठा करने की बजाय, अपनी औलादों को शिक्षित, स्वस्थ, शिष्टाचारी व शक्तिशाली बनाने के लिए पूरी मेहनत से काम करना चाहिए। और यदि औलादें शिक्षित, स्वस्थ व शिष्टाचार होकर शक्तिशाली बनी, तो यही औलादें हम सभी के द्वारा पढ़ी गई कथा श्रवण कुमार जो अपने माता पिता को विषम परिस्थितियों में अपने बेसिक कर्तव्य के तहत यात्रा कराई थी उसी तरह का सम्मान आज भी युवा अपने माता पिता को दे सकते हैं, जैसा कि हमने इस दिशा में प्रयास किया था और आज उसका परिणाम हमें मिल रहा है। जिसके तहत चार धाम की यात्रा कराने में हमारे बच्चों द्वारा हमारे साथ निभाकर समाज में अन्य युवाओं के लिए संदेश दिया गया