अखिल भारतीय साहित्य परिषद की महानगर लखनऊ इकाई द्वारा संवत्सर नववर्ष, रामनवमी व हनुमान जन्मोत्सव पर काव्य संध्या व संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 06अप्रेल 2023को परिषद के महानगर लखनऊ के अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त के आवास पर विकास खण्ड गोमती नगर में किया गया। इस आयोजन में लखनऊ जनपद की अखिल भारतीय साहित्य परिषद की जनपद इकाई के साथ-साथ पॉंचो उप समितियों लखनऊ पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण एवं मध्य की भी संयुक्त सहभागिता रही।
उक्त आयोजन की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अवध प्रान्त के अध्यक्ष विजय त्रिपाठी द्वारा की गई । आज के आयोजन में डॉ.नीतू शर्मा जो कि दक्षिण उप समिति की अध्यक्ष भी हैं, मुख्य अतिथि रही। पूर्व उप समिति की अध्यक्ष आर्यावर्ती सरोज “आर्या” विशिष्ट अतिथि रहीं। विशिष्ट अतिथि द्वय के रूप में मनमोहन बाराकोटी, अध्यक्ष उप समिति लखनऊ मध्य, की सहभागिता रही। इस अविस्मरणीय कार्यक्रम का श्रेष्ठ संचालन डॉ. ममता पंकज द्वारा व भावपूर्ण वाणी वन्दना राजीव कुमार वर्मा ‘वत्सल’ द्वारा की गई।
संगोष्ठी में मंच के अतिरिक्त सहभागियों द्वारा उपरोक्त तीनों पर्वों के भारत पर राष्ट्र के रूप में एवम् विशेषकर सनातन संस्कृति के ऊपर नैतिकतामय सकारात्मकता के साथ पड़ते प्रभावों को परिलक्षित करते हुए अपने विचार प्रकट किए।
अध्यक्षीय काव्य पाठ में विजय त्रिपाठी ने अपने उद् बोधन के साथ पढ़ा ‘दुनिया का सब हर्ष आपका, मंगल मय नववर्ष आपका, आप सरीखा रहे न कोई, इतना हो उत्कर्ष आपका।’ डॉक्टर नीतू शर्मा ने पर्वों की बधाइयों के साथ तीनों पर्वों की सार्थकता पर अपने विचार प्रकट किए। सरोज आर्यावर्ती द्वारा पढ़ा गया ‘जन्मे रामलला दशरथ घर, जन्मे साथ में चारों भाई हैं, चैत्र मास वसन्त ऋत, रामनवमी फिर आई है। निर्भय नारायण गुप्त ‘निर्भय’ ने पढ़ा ‘स्वप्न हमारे सच कर करके साकार दिखायेंगे, राम राज्य लाकर भारत को, स्वर्ग बनायेंगे’। विनोद कुमार गुप्त ‘भावुक’ अपने व्यंग से सबके दिलों को गुदगुदाया ‘बहुत सीधा समझती है, बहुत सीधी है बेचारी, तुम्हारी व्हाट्सएप चैटिंग में, भौजी को दिखाऊं क्या।’ राजीव कुमार वर्मा ‘वत्सल’ ने कामरूप छन्द पढ़ते हुए कहा ‘हनुमान अति प्रिय, राम प्रभु के, जगत को यह ज्ञात, हर क्षण निकटता, रहे उनकी, स्नेह की यह बात। शरद पाण्डे ‘शशांक’ ने छंद से अपने भाव प्रकट किए ‘शान्त सकता है कहॉं बैठ वीर हनुमान, खाक बिना किए रावण की राजधानी को’। अरविंद रस्तोगी ने पढ़ा ‘एक मुष्ठिका वार से मारे शत्रु हजार, ऐसे श्री हनुमान को नमन करो शत बार’। पायल लक्ष्मी सोनी ने कहा ‘नव संवत्सर आया है, हर्ष और अनुराग है, गाओ मंगलगीत, नव चेतना का राग है।’ कन्हैया लाल ने कहा ‘बरसा के कोई प्यार देखे तो किसी पर, प्यासा है बहुत प्यासा, इस प्यार का जमाना’। इसके अतिरिक्त ज्योति किरण ‘रतन’ ने अपने गीत में कहा ‘चैत्र शुक्ल नवमी तिथी, राम रूप अवतार, कौशल्या की गोद मे,रुदन करें करतार।’ संजीव श्रीवास्तव, हरीनाथ सिंह आदि ने भी अपने उत्कृष्ट काव्य पाठ से इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया। अन्त में महानगर लखनऊ अध्यक्ष श्री निर्भय नारायण गुप्त ‘निर्भय’ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ