
हिन्दुस्तान के बगिया की आन,बान, सम्मान बेटी,
आर्यावर्त के हर कोने की मान,शान पहचान बेटी,
सीता,सावित्री, दुर्गा, गायत्री या लक्ष्मीबाई हो,
सुभद्रा,सरोजनी,इंदिरा,या झलकारी बाई हो,
सब में बसती हिंद की शान,बेटी सदा रहेगी भारत की अभिमान।
खेल प्रदर्शन,गायक शैली, अस्त्र- शस्त्र सिखलाती बेटी,
मुक्केबाजी, खेलकूद में निश-दिन हांथ बढ़ाती बेटी,
लता मंगेशकर पीवी सिंधु या उज्जैन की अहिल्या माई हो,
महादेवी, अमृता, मीरा या अवंतीबाई हो,
सब में बसती हिन्द की शान,बेटी सदा रहेगी भारत की अभिमान।
धरा से अंतरिक्ष तक नए-नए प्रयोग दिखाती बेटी,
ध्वज-पताका लिए हांथ में अम्बर तक लहराती बेटी,
किरण,ज्योतिबा,प्रतिभा देवी, या राधाबाई हो,
सुषमा,कल्पना, राजकुमारी या धाय पन्ना माई हो,
सब में बसती हिन्द की शान, बेटी सदा रहेगी भारत की अभिमान।
साहस,क्ष्मता, दया भावना को नित्य बताती बेटी,
शील,स्वभाव, प्रेम-भावना का नित्य पाठ पढ़ाती बेटी।i
पिता के सपनों को साकार करके आसमान को छूती है,
माँ की अभिलाषाओं को पूर्ण कर ध्वज अम्बर तक लहराती बेटी।।