कुछ दास्तां-ए-इश्क अधूरी रह गई ।
नजदीकियां होके भी दूरी रह गई ।।
नव साल की दुआ उन फ़राजों को।
जिनकी यादों में याद शीरी रह गई।।
रब तूं ही कोई ऐसा संयोग बना दे ।
मुलाकात हो पूरी थी जरूरी रह गई।।
उसे रोकने की कोशिश नाकाम हो गई
जिसकी उम्र की सीमाएं पूरी हो गई।।
कुछ रिश्ते बढ़कर महबूब बन गए
उनकी फ़िक्र में मरना मजबूरी हो गई।।