
राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर में आज दिनांक 06 मार्च को कवि दिलीप दीपक की पुस्तक “गजले बोता हूं ” का विमोचन हुआ। इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो वशिष्ठ अनूप ने कहा कि दिलीप की गजलें आम जन से जुड़ी हुई हैं । इसमें जीवन की विविध झांकियां दिखलाई पड़ती हैं। इसी क्रम में इलाहाबाद विश्विद्यालय के आचार्य डा लक्ष्मण प्रसाद गुप्त ने कहा कि ग़ज़ल एक लोक प्रिय विधा है, इसमें मानक का आजकल प्रायः ख्याल नहीं रखा जाता। दिलीप एक संभावना शील ग़ज़लकार हैं , आने वाले दिनों में यह ग़ज़ल के प्रतिमान गढ़ेंगे।प्रसिद्ध चिंतक माधव कृष्ण ने कहा कि नए लेखकों के साथ मानक में थोड़ी छूट देनी चाहिए। दिलीप जी की गजले इस मामले में बहुत स्तरीय हैं कि उनके यहां बिखंडन नहीं समाज का मंडन है।साहित्यकार प्रो . संतोष कुमार सिंह ने कहा कि गाजीपुर की साहित्यिक परंपरा बहुत समृद्ध है, दिलीप दीपक का यह संग्रह उस परंपरा को आगे बढ़ाने वाला है। प्राचार्य प्रो अनीता कुमारी ने कहा कि साहित्य से समाज का विकास होता है। दिलीप जी की रचनाधर्मिता समाज की बेहतरी के प्रति आश्वस्ति करता है। दूसरे सत्र में देर रात तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो वशिष्ठ अनूप, इलाहाबाद विश्विद्यालय के आचार्य डा लक्ष्मण प्रसाद गुप्त, प्रसिद्ध युवा कवि केतन यादव, मऊ जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डा कमलेश राय, गाजीपुर शहर के वरिष्ठ प्रसिद्ध कवि हरि नारायण हरीश, सुप्रसिद्ध कवयित्री रश्मि शाक्य, बालेश्वर विक्रम ,आर्यपुत्र दीपक, कुमार यशवंत एवं दिलीप का काव्यपाठ चलता रहा।
यह आयोजन राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जिसकी सूचना मीडिया प्रभारी डा शिवकुमार यादव ने दी ।