जीवन मूल्यों में संस्कारों का बड़ा महत्व है। ऐसा ही एक संस्कार है सेवा का भाव। नि: स्वार्थ भाव से यथासंभव जरूरतमंद की मदद करना, सेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। तन, मन और वचन से दूसरे की सेवा में तत्पर रहना स्वयं इतना बड़ा साधन है कि उसके रहते किसी अन्य साधन की आवश्यकता ही नहीं रहती। क्योंकि जो व्यक्ति सेवा में सच्चे मन से लग जाएगा उसको वह सब कुछ स्वत: ही प्राप्य होगा जिसकी वह आकांक्षा रखता है। ऐसे ही एक शख्सियत है जो वर्तमान समय में मानवता व मदद के पर्याय हैं वो शख्स हैं अजीत प्रताप सिंह जी जो की वर्तमान समय में लखनऊ पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में उपनिदेशक हैं श्री सिंह ने आज तक निश्वार्थ भाव से लाखो लोगो की मदद करके समाजसेवा के जरिये मानवता की अनूठी मिशाल प्रस्तुत किया है कोरोना कॉल के भीषण महामारी लोगो के ज़िन्दगी बचाने का इन्होने ऐतिहासिक कार्य किया जिससे इनकी तारीफ पूरे देश में हुई इनके कलम से अनगिनत लोगो को जीवन दान मिला अजीत प्रताप सिंह जी देवदूत वानर सेना के संरक्षक है इनके सेना में दस हज़ार से अधिक देवदूत है ये देवदूत देश के सभी राज्यों के अलावा विदेशो में भी सक्रिय है पीड़ितो गरीबो की मदद करने की वजह से देवदूत वानर सेना के सदस्यों को देवदूत अर्थात ईश्वर का दूत कहा जाता हैं श्री अजीत प्रताप जी अपने फेसबुक वाल से किसी के मदद के लिए पोस्ट करते है जिसको देखते ही देवदूत उस अभियान को पूर्ण करने में तन मन धन से लग जाते है चाहे ब्लड प्लेटलेट्स दिलवाना हो या किसी गरीब व असक्षम को इलाज के लिए पैसे इकट्ठा करवाना हो इसके अलावा गरीब के बेटी की शादीं के लिए सामग्री व पैसे इकट्ठे करना,किसी बेरोजगार को रोजगार दिलवाना इत्यादि जनहित के कार्यों में देवदूत धर्म जाति सम्प्रदाय से परे होकर सदैव तत्पर रहते है