
अन्त कभी नहीं होता
एक लम्बी कतार लगी होती है
अन्त के बाद
अन्त होने के लिए;
एक इच्छा पूरी होने को होती है
दूसरी कतार में लग जाती है
बिना समझे, बिना पूछे ।
विदाई निश्चित है सभी की
दुखदायी भी है फिर भी
जन्म की कतारें लगी हैं
फिर से विदा होने के लिए
इसके बाद दायित्व कम होगा
फिर जीवन में सुकून के पल होंगे
पर दायित्व कभी खत्म नहीं होते
बढ़ते जाते हैं ।
बचपन में चाह बड़े होने की
बड़े होने पर बचपन में लौट जाने की
ये चाह कहाँ खत्म होती है
इन चाहतों का अन्त नहीं ।
प्रतिक्षा , प्रतिक्षा के बाद फिर प्रतिक्षा
से बचें,
आज का भरपूर आनंद लें
क्यों कि अन्त किसी परिस्थिति का नहीं
दिन के बाद रात की प्रतीक्षा फिर
रात के बाद दिन की
यही जीवन है ।