
कृष्ण वही जिसे राधा चाहें,
मुरली जो सुख तान बजावे ,
मीत,गीत हर रीत निभाकर
श्री राधे कृष्ण की वाट निहारे ।।
प्रीत का सुख ये सच्चा लागे ,
जिस क्षण मोहन मिलने आवे
सुध वुध खोई बैठी रही राधिका
श्याम के कांधे पर सर झुकाके।।
मस्त मगन से नैना श्याम के
काजल से कजरारे कजरारे
जो इनके दर्शन करे कोई तब ,
खो जाए ,भूल जाए ,दुख सारे ।।
हे कृष्ण तुम हो मन मोहन
छवि तुम्हारी कितनी भोली
संसार में तुमसा न कोई दूजा
मीरा के तुम गिरधर प्रभु प्यारे।।