वाराणसी महानगर के कचहरी स्थित वरुणा पुल अडिग सभागार में प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के प्रदेश संयोजक कवि इंद्रजीत निर्भीक, सामाजिक संस्था पूर्वांचल राज्य जनमोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव पवन कुमार सिंह एडवोकेट एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव -अनुज दूबे के प्रमुख संयोजन में मुंशी प्रेमचंद स्मृति काव्य संगम का आयोजन दो
सत्र में चला। प्रथम सत्र में मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश के अध्यक्षता में, मुख्य अतिथि – अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट, विशिष्ट अतिथि कवि अशोक श्रीवास्तव भुलक्कड़ बनारसी एवं प्रख्यात शिक्षाविद् राकेश चंद्र पाठक महाकाल एवं प्रहलाद जायसवाल ने कवयित्री संगीता श्रीवास्तव, रीता राय, चिंतित बनारसी, राकेश चौबे संगम, गोपाल त्रिपाठी, अमित कुमार शर्मा -प्रयागराज सहित अनेकों विशिष्ट लोगों को अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र भेंट करके सम्मानित किया।
उक्त अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन में श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश ने कहा कि अत्यन्त निर्धनता पूर्वक जीवन यापन करते हुए धनपत राय -मुंशी प्रेमचंद जी ने जरूरतमंद लोगों की मूलभूत समस्याओं को अपने उपन्यास, गद्य, पद्य के माध्यम से जगजाहिर किया।जिसे संसार के अनेकों देशों के लोग आज भी अध्ययन,शोध कर रहे हैं। ऐसे महापुरुष की स्मृतियों को
हम सबको सदैव अपनी आने वाली पीढ़ी के युवाओं, बच्चों को
ध्यान आकृष्ट करवाते रहने की जरूरत है।
दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन कवि इंद्रजीत निर्भीक के संचालन में प्रारम्भ हुआ। जिसमें कवियों और गायकों ने संयुक्त रूप से अपने कविता, गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विशेष रूप से -चिंतित बनारसी नें-खुश नसीबों के परिवार में ही जनसमर्थक कलमकार जन्म पाते हैं, अमित शर्मा ने – ज़िन्दगी दूसरों के हितों के लिए जिएं, अपनों के लिए ही कुछ किए तो हम सब कुछ नहीं किए, संगीता श्रीवास्तव ने – प्रेम चंद जी हम सब साहित्यिक क्षेत्र में गरीबों,मजबूरों के आवाज थे,
रहते थे धरा पर लेकिन, उनके सोच आसमान थे, भुलक्कड़ बनारसी ने – ज़िन्दगी ग़म भरा है, खुशी से जियो,जीना है गर खुशी से तो पहले अपने क्रोध और आवेश को पियो, इंद्रजीत निर्भीक ने – कलमकार प्रेमचंद जी सबके हित के लिए सबकुछ लुटाकर,कलम के जादू से जरूरतमंदों के अपना सबकुछ लुटा दिए,हम सब उनसे प्रेरणा लेकर लेखनी सबके हितार्थ ही करें, गायक राकेश चौबे संगम, गोपाल त्रिपाठी,अनुज दूबे सहित अनेकों कवियों, कलाकारों ने भी
श्रोताओं को काव्य, हास्य व्यंग रचनाओं,गायन से गुदगुदाया।
धन्यवाद आभार डॉ.सुबाष चंद्र एवं पवन कुमार सिंह एडवोकेट ने संयुक्त रूप से किया।