
*खर दूषण को पांच बरस तक,*
*फिर गद्दी पकड़ा जाएं*
🌺🌹🧚🥀🙏🌹🧚🥀🌺
मतदान का मौसम आया है,कैसे इसका इजहार करूं।
कैसे लोगों को समझाऊं,कैसे इसकी शुरुवात करू।।
किसको मैं अपना मान चलूं,
किसको अब पहचान डीसी चलूं।
मेरी भी क्या अब किस्मत है,जिसको माना वह छोड़ चला।।
कोई तो पंजा कहता है,कोई तो कमल दिखाता है।
कोई अब गठबंधन करके,अपनी बौछार दिखाता है।
मतदान की याद में सिहर चला,पिछली बातें दोहराता हूं।
हाथी वालो ने हवालात में,सर्दी पूरी कटवाई थी।
सायकिल वालों ने बेरोजगारों पर,जमकर लाठी बरसाई थी।
कमल वालो ने पकड़ कर गर्दन, ईडी की राह दिखाई थी।
बेरोजगारी की मार से अब तक,फुरसत भी न पाई थी।
कोई तो मंत्री बन बैठे ,कोई ने उंगली दिखाई है।
अब तो बस एक यही नारा,सबने औकात दिखाई है।
अब कहता हूं हो जाओ पुन:, मूषक बनकर घर को जाओ।
नालायक को लायक क्यों माने,
अब हमको न समझाओ।
अब झाड़ू वाले आ जाओ,इन सब को मार्ग दिखा जाओ।
अपनी ढपली अपना राग,इन सब को झाड़ू लगा जाओ।
क्यों देंगे मत इनको अपना जिसने खून के आंसू दिखलाए।
खुद खाकर माल करोड़ों का,
हमको ठेंगा अब दिखला जा ये।
अब नोटा भी एक विकल्प बना, इसका भी उचित प्रयोग करें।
या खर दूषण को पांच बरस के लिए, गद्दी पकड़ा जाएं।।
🌺🥀🧚🌹🙏🌹🧚🥀🌺
*अवधेश कुमार साहू बेचैन हमीरपुर यूपी*