
उम्र छोटी है लेकीन सपने बड़े है
पैसा कम है लेकिन जिद बड़ी है
आज हम ऐसे यूवा की बात कर रहे हैं जिसके ऊपर यह पंक्तियां चरित्रार्थ है महामना की बगिया बीएचयू से निकलकर संघर्ष की बदौलत मजबूत पहचान बनाने वाले आशीष पाण्डेय की ,जो सदैव जरूरतमंदों की की सेवा करके आशीष लेते हैं आशीष बिहार से लेकर पूर्वांचल तक के गंभीर से गंभीर मरीजों को बीएचयू में एडमिट कराना इनकी दिनचर्या में शामिल हैं आशीष समाज सेवा को ही अपना धर्म समझते हैं आशीष बताते हैं कि निस्वार्थ भाव से यथासंभव जरूरतमंद की मदद समाजसेवा करना हमारे संस्कारों की पहचान कराता है। समाजसेवा के लिए किसी पद की आवश्यकता नहीं रहती आशीष अपनी व्यवहार व कार्यकुशलता से जटिल से जटिल समस्या को हल करवा देते हैं