अडिग सचमुच महान थे, रहते थे धरा पर लेकिन उनके सोच आसमान थे – इंद्रजीत निर्भीक
रोते हुए को हंसाने वाले को शत्- शत् बार नमन, प्रथम पुण्यतिथि पर उपस्थित आप सबका हार्दिक अभिनन्दन – डॉ.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी
जीवन के हर सुख -दुख में, अडिग को सिर्फ हंसते ही देखा है,ये जीवन तो एक नाटक है,इसका सब रुप रंग अनोखा है -सुखमंगल सिंह मंगल -अवध
अडिग थे अडिग वो आज भी हम सबके दिल में हैं, प्रसन्नता के प्रखर पुरोधा को शत्- शत् बार नमन है – चिंतित बनारसी
अडिग जी का मैं सुपुत्र करता हूं आज उनका वन्दन बार-बार, हम सबको सदैव अच्छे कार्य करते रहने की शक्ति दें,यही उनसे अपेक्षा है बार-बार-अनुज कुमार दूबे
वाराणसी महानगर के वरूणा पुल, कचहरी स्थित अडिग सभागार में पांच बार महामहिम राष्ट्रपति पद पर प्रबल दावेदार रह चुके, राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा बोर्ड के संस्थापक स्वर्गीय नरेंद्र नाथ दूबे अडिग एडवोकेट – हास्य ठहाका गुरु के प्रथम पुण्यतिथि के अवसर अडिग स्मृति काव्य संगम का आयोजन डॉ.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी के अध्यक्षता में, अनुज दूबे के संचालन में किया गया।
अडिग जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा-उत्तर प्रदेश के प्रदेश संयोजक एवं हिन्दी साहित्य भारती के प्रदेश मंत्री इंद्रजीत निर्भीक ने शुभ उदघाटन किया।
आगंतुकजनों के प्रति स्वागत संबोधन अडिग जी की धर्मपत्नी सावित्री दूबे ने किया।
काव्य संगम में सुखमंगल सिंह मंगल, इंद्रजीत निर्भीक, पूनम श्रीवास्तव, डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प, चिंतित बनारसी,अनुज दूबे, अमित शर्मा, राकेश चंद्र पाठक महाकाल, डॉ.सुबाष चंद्र सिंह सहित अनेकों लोगों ने काव्यांजलि अर्पित किया।
आयोजन के अन्त में मुख्य अतिथि श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट ने अडिग जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।