कॉलेज प्राचार्या श्रीमती अल्पना गौड़ के निर्देश पर ‘राष्ट्रीय हिंदी दिवस’ के अवसर पर श्री बाबूनंदन आदर्श महाविद्यालय रामपुर बंतरा में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता समाजशास्त्र के प्रवक्ता अरुण कुमार द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन भूगोल के प्रवक्ता आनंद सिंह कुशवाहा द्वारा किया गया। जिसमें समस्त विद्वान प्रवक्ताओं, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस अवसर पर विभिन्न छात्र-छात्राओं द्वारा कविताएं,गीत,भाषण,शेर आदि प्रस्तुत किये गयें। गुड़िया विश्वकर्मा ने अमीर खुसरों की कव्वाली ‘छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिला के’ का सस्वर गायन करके सभी को मंत्र मुक्त कर दिया।बी०टी०सी० के छात्र मोहित ने कई मुक्तक सुना वाह-वाही लूटी। पूर्व छात्रा अंकिता ने शेरों शायरी सुनाया जिस पर विद्यार्थी देर तक तालियां बजाते रहें।
गोष्ठी में दिलीप दीपक (प्रवक्ता-हिन्दी) ने अपने सम्बोधन में मातृभाषा, राष्ट्रभाषा, एवं राज भाषा के अंतर से विद्यार्थियों को अवगत कराते हुए कहा कि “शिक्षा के प्रसार-प्रचार के माध्यम के रुप में हिन्दी के विकास से हिंदी के ‘राष्ट्रभाषा’ बनने की संभावनाएं अधिक हैं। स्त्रियों के शिक्षित होने से हिंदी मातृभाषा के रूप में भी भारत में विकसित हो सकती है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि हिंदी के विकास के साथ-साथ हमें मातृ भाषाओं के संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। हिंदी साहित्य के अंतर्गत समस्त भारतीय बोलियों को स्थान मिलता है।” बीटीसी के प्रवक्ता श्री राम मोहन कुशवाहा ने राजभाषा के रूप में हिंदी की नियुक्ति के इतिहास पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। प्राचार्या अल्पना गौड़ ने विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के अधिक से अधिक प्रयोग के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थी हिंदी की लोकोक्तियों,मुहावरों आदि का प्रयोग अपने दैनिक बोल-चाल और लेखन में करें तो वह अच्छी हिंदी बोल और लिख सकते हैं। बीटीसी प्रवक्ता अनामिका राय ने विद्यार्थियों को हिंदी मास में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से बचने के लिए प्रेरित किया। समाजशास्त्र के प्रवक्ता अरुण कुमार ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी के राष्ट्रभाषा बनने के बीच आने वाली अड़चनों को रेखांकित किया। हिंदी के प्रति नेताओं की उदासीनता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा अंग्रेजी का प्रयोग हिंदी के प्रति अन्याय है।जबकि हमारा पड़ोसी देश चीन विश्व मंचों पर अपनी भाषा का प्रयोग करता है। कार्यक्रम के अंत में विद्यार्थियोंके अनुरोध पर आनंद कुमार ने हिंदी संबंधित पंक्तियां सुना कर तालियां लूटी। हिंदी के प्रवक्ता दिलीप दीपक द्वारा भी अपनी एक ग़ज़ल’ नैन बड़े बंजारे हैं, झिलमिल झिलमिल तारे हैं। उसकी सूनी आंखों में, सपने प्यारे-प्यारे हैं,का वाचन किया गया।