
मध्याह्न भोजन योजना को वर्ष 1995 में भारत सरकार द्वारा सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत पुरे भारत के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है।
यह प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विश्व का सबसे बड़ा विद्यालय भोजन कार्यक्रम है।
एगमार्क गुणवत्ता वाली वस्तुओं की खरीद के साथ ही स्कूल प्रबंधन समिति के दो या तीन वयस्क सदस्यों द्वारा भोजन का स्वाद चखा जाता है।
अब इन योजनाओं को संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका छोटे इकाई पर रसोइया ही निभाती हैं मगर आज भी उन्हें महीने के 1500 रूपए और किसी राज्य में 2000 रुपये दिया जाता हैं एक दिन के औसतन 50- 70 रुपए “यह आर्थिक शोषण बंधुआ मजदूर की तरह महिला वर्ग पर क्यों ?” गर्मी हो या ठंडी हों या बरसात हो वो हर दिन अपने कर्तव्य का निर्वहन ईमानदारी से करती हैं , ये गरीब वर्ग की महिलाएं बेहद साधारण परिवार से आती है राजधानी में धरना प्रदर्शन देने का सामर्थ्य भी नही है कही न कही अब महिलाओं को जागरूक होकर अपने हक के लिए लड़ना ही होगा वरना इसी प्रकार उनका आर्थिक शोषण होता रहेगा