सुप्रीम कोर्ट ने Bhima Koregaon Case में आरोपी कार्यकर्ता और कवि पी वरवर राव की मेडिकल जमानत से जुड़ी शर्तों में बदलाव की मांग खारिज कर दी। राव ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि उन्हें ग्रेटर मुंबई से बाहर जाने के लिए हर बार ट्रायल कोर्ट से अनुमति न लेनी पड़े। लेकिन जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने यह याचिका खारिज कर दी।
राव के वकील आनंद ग्रोवर ने दलील दी कि राव की तबीयत लगातार खराब हो रही है। पहले उनकी पत्नी उनका ख्याल रखती थीं लेकिन अब वह हैदराबाद में रहती हैं। ऐसे में राव अकेले पड़ गए हैं। वकील ने कहा कि वह पेंशन से हर महीने 50 हजार रुपये पाते हैं लेकिन उनका खर्च 76 हजार रुपये तक चला जाता है। तेलंगाना में उन्हें मुफ्त इलाज मिल सकता है लेकिन मुंबई में हर बार इलाज के लिए पैसे देने पड़ते हैं।

जस्टिस माहेश्वरी ने इस पर कहा कि सरकार उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखेगी। अगर समस्या है तो उसी कोर्ट में जाइए, हमें इस मामले में दिलचस्पी नहीं है। ग्रोवर ने यह भी कहा कि केस की सुनवाई अभी शुरुआती चरण में है और जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है। उन्होंने गुज़ारिश की कि राव को बाद में दोबारा आवेदन करने का विकल्प दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने आदेश में ऐसा कोई प्रावधान जोड़ने से भी इनकार कर दिया।
कब और कैसे मिली थी जमानत
अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने वरवर राव को मेडिकल आधार पर जमानत दी थी। कोर्ट ने उस समय उनकी उम्र, खराब स्वास्थ्य और पहले से बिताए गए ढाई साल की हिरासत को देखते हुए राहत दी थी। शर्त ये थी कि राव मुंबई स्थित एनआईए कोर्ट की अनुमति के बिना ग्रेटर मुंबई से बाहर नहीं जाएंगे। साथ ही, वह किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे और न ही जांच को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।









