INDI Alliance Protest: आज विपक्षी दलों के नेता सड़कों पर उतरेंगे। 25 विपक्षी पार्टियों के 300 से अधिक सांसद संसद से चुनाव आयोग के मुख्यालय तक पैदल मार्च निकालेंगे। यह विरोध मार्च सोमवार को सुबह 11:30 बजे संसद के मकर द्वार से शुरू होगा और ट्रांसपोर्ट भवन होते हुए चुनाव आयोग कार्यालय तक पहुंचेगा। विपक्षी नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मत चोरी का आरोप लगाया है और बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के खिलाफ भी आवाज उठाई जाएगी।
चुनाव आयोग से मांगा जाएगा स्पष्ट जवाब
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने विपक्ष के चुनाव आयोग से मुलाकात के दौरान कहा कि आयोग को जनता को स्पष्ट जवाब देना होगा। वे आरोप लगाते हैं कि चुनाव आयोग राजनीतिक दलों की बात तो सुनता है लेकिन साफ-साफ जवाब नहीं देता। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकांश सांसदों और अन्य सम्मानित लोगों को इस मार्च की अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराई जानी चाहिए।
#WATCH | Delhi | On Opposition parties' meeting with EC at noon today, Congress MP Gaurav Gogoi says, "The Election Commission needs to come out with clear answers. They listen but never come out with clear answers. EC right now, while speaking to political parties, needs to… pic.twitter.com/quVVxJlMfY
— ANI (@ANI) August 11, 2025
दिल्ली पुलिस ने नहीं दी मार्च की अनुमति
दिल्ली पुलिस ने इस विरोध मार्च के लिए अभी तक कोई अनुमति नहीं दी है। पुलिस ने कहा है कि बिना अनुमति मार्च निकालना कानून के खिलाफ होगा और इसलिए विपक्षी नेताओं का चुनाव आयोग तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति के बीच मार्च की सफलता पर संदेह जताया जा रहा है।
Lok Sabha and Rajya Sabha adjourned till 2 PM. pic.twitter.com/UvAvoxx6Ri
— ANI (@ANI) August 11, 2025
विपक्षी दलों का व्यापक समागम
इस विरोध मार्च में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, वामपंथी पार्टियां, राजद, एनसीपी (एसपी), शिवसेना (यूबीटी), और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे कई बड़े विपक्षी दल शामिल होंगे। सभी दल एकजुट होकर मत चोरी और वोटर लिस्ट के संशोधन के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे। यह मार्च लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
लोकतंत्र की चिंता और विपक्ष की आवाज
विपक्षी दल इस मार्च के जरिए चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वोटर लिस्ट में हो रहे संशोधन से लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। इस मार्च से विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर दबाव बनाना चाहती हैं ताकि चुनाव प्रक्रिया पूरी ईमानदारी से हो सके और हर वोटर का अधिकार सुरक्षित रहे।