Income Tax Bill: नई आयकर विधेयक में महत्वपूर्ण संशोधन, कर प्रणाली में आएंगे बदलाव, अब समय सीमा के बाद भी मिलेगा लाभ

Income Tax Bill: नई आयकर विधेयक में महत्वपूर्ण संशोधन, कर प्रणाली में आएंगे बदलाव, अब समय सीमा के बाद भी मिलेगा लाभ

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Income Tax Bill: लोकसभा में सोमवार को पारित नई आयकर विधेयक (Income Tax No. 2 Bill) ने कई पुराने प्रावधानों को बरकरार रखा है और कुछ नए संशोधन भी किए हैं। इस विधेयक में टीडीएस (Tax Deduction at Source) दावों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की सुविधा जारी रखी गई है। इसके अलावा, सभी धार्मिक और धार्मिक-सेवा संस्थाओं को गुमनाम दान पर कर छूट भी दी गई है। फरवरी 2025 में संसद में पेश किए गए मूल आयकर विधेयक में इन प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव था, लेकिन अब इन्हें वापस शामिल किया गया है।

पेशेवरों के लिए नई सुविधाएं और टीडीएस सुधार

इस विधेयक में धारा 187 में ‘पेशा’ शब्द जोड़कर उन पेशेवरों को सुविधा दी गई है जिनकी वार्षिक आय 50 करोड़ रुपये से अधिक है, ताकि वे निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान विधि अपना सकें। इसके अलावा, आय में हुए नुकसान को कैरी फॉरवर्ड और समायोजित करने के प्रावधानों को बेहतर तरीके से पुनः डिजाइन किया गया है। टीडीएस दावों में सुधार के लिए कर दावे सुधार की जानकारी दाखिल करने की समय सीमा भी घटाकर दो साल कर दी गई है, जबकि पहले यह अवधि छह साल थी। इससे कर संबंधित शिकायतों में काफी कमी आने की उम्मीद है।

Income Tax Bill: नई आयकर विधेयक में महत्वपूर्ण संशोधन, कर प्रणाली में आएंगे बदलाव, अब समय सीमा के बाद भी मिलेगा लाभ

पंजीकृत एनपीओ को भी कर छूट का लाभ मिलेगा

सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, गैर-लाभकारी संगठन (NPO) या धार्मिक और चैरिटेबल ट्रस्ट को मिले गुमनाम दान पर कर छूट की व्यवस्था पुनः बहाल की गई है। अब धार्मिक और चैरिटेबल दोनों प्रकार के पंजीकृत एनपीओ को यह छूट मिलेगी। हालांकि, ऐसे धार्मिक ट्रस्ट जो अस्पताल या स्कूल चलाते हैं, उन्हें कर नियमों के अनुसार टैक्स देना होगा। इस बदलाव से गैर-लाभकारी संस्थाओं को वित्तीय राहत मिलेगी और उनका कार्य बेहतर होगा।

‘रसीद’ की जगह ‘आय’ की अवधारणा लागू

आयकर विधेयक में गुमनाम दान पर कराधान के प्रावधानों को आयकर अधिनियम 1961 के मौजूदा प्रावधानों के साथ जोड़ा गया है। अब केवल रसीदों के आधार पर नहीं बल्कि वास्तविक आय के आधार पर कर लगाया जाएगा। यानि अब ‘रसीद’ की अवधारणा की जगह ‘आय’ की अवधारणा को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे कराधान प्रणाली में पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवस्था आएगी।

समय सीमा के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा संभव

इस विधेयक ने उन लोगों को बड़ी राहत दी है जो निर्धारित समय सीमा के बाद भी टीडीएस रिफंड का दावा करना चाहते हैं। पहले प्रस्तावित विधेयक में आयकर रिटर्न निर्धारित समय में दाखिल करना अनिवार्य था ताकि टीडीएस रिफंड मिल सके, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब जिन लोगों पर आयकर रिटर्न दाखिल करने की बाध्यता नहीं है, वे भी देरी से रिफंड का दावा कर सकेंगे। इसके अलावा, यूनिफाइड पेंशन स्कीम के सब्सक्राइबर्स को कर छूट, आयकर सर्च मामलों में बुल्क असेसमेंट की व्यवस्था और सऊदी अरब के पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड को प्रत्यक्ष कर लाभ भी इस विधेयक में शामिल किए गए हैं।

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