हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL को अमेरिका से लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट LCA Mk1A प्रोग्राम के लिए तीसरा GE-404 इंजन मिल गया है। यह उपलब्धि तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमानों की जरूरत को पूरा करने की दिशा में बेहद अहम है। भारत को फिलहाल बड़ी संख्या में आधुनिक विमानों की जरूरत है और ऐसे में इंजन की समय पर डिलीवरी उत्पादन को गति देगी।
डिलीवरी में तेजी का रास्ता
डिफेंस अधिकारियों के मुताबिक अब सप्लाई चेन में सुधार हुआ है। इससे HAL को समय पर विमानों की डिलीवरी करने में बड़ी मदद मिलेगी। तेजस का यह उन्नत वर्जन यानी Mk1A भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूत करेगा। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक HAL को 12 GE-404 इंजन मिलने की उम्मीद है। भारतीय वायुसेना ने पहले ही 83 LCA Mk1A का ऑर्डर दे दिया है और 97 और विमानों की खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

करोड़ों डॉलर की डील
भारत ने साल 2021 में जनरल इलेक्ट्रिक के साथ 99 F404-IN20 इंजनों के लिए 716 मिलियन डॉलर की डील की थी। हालांकि दक्षिण कोरिया के एक सप्लायर की वजह से सप्लाई में देरी हुई और शेड्यूल मार्च 2025 तक खिसक गया। अब स्थिति में सुधार होने के बाद HAL ने भरोसा जताया है कि वह तय समय पर अपनी डिलीवरी पूरी करेगा।
भारतीय वायुसेना ने कुल 352 तेजस विमान अपने बेड़े में शामिल करने का लक्ष्य रखा है। इसमें Mk1A और Mk2 दोनों वेरिएंट शामिल होंगे। HAL का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष में इंजन सप्लाई पूरी तरह स्थिर हो जाएगी। इसके बाद 2026-27 तक हर साल 30 विमानों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सरकारी और निजी दोनों कंपनियां शामिल होंगी।
मेक इन इंडिया को मजबूती
समय पर डिलीवरी होने से न सिर्फ भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी नई गति मिलेगी। आधुनिक तकनीक और स्वदेशी निर्माण क्षमता के साथ भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। तेजस प्रोग्राम का यह चरण आने वाले समय में देश की सुरक्षा और रक्षा उद्योग दोनों को नई दिशा देगा।









