FPIs ने बांड में किया मामूली निवेश, लेकिन जोखिम भरे शेयरों से निकासी जारी, भारतीय बाजार में बेचैनी का माहौल

FPIs ने बांड में किया मामूली निवेश, लेकिन जोखिम भरे शेयरों से निकासी जारी, भारतीय बाजार में बेचैनी का माहौल

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) ने अगस्त 2025 में भारतीय शेयर बाजार से लगभग 21,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह निरंतर बिकवाली अमेरिकी-भारत व्यापार तनाव, कंपनियों के कमजोर पहले तिमाही परिणाम और रुपये के मूल्यह्रास के कारण हो रही है। इस साल अब तक FPIs ने कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिकी टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया अगले कदम तय करेगी।

 अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ की संभावना कम

एंजेल वन के CFA वकार जावेद खान ने कहा कि अमेरिका और रूस के बीच तनाव में कमी और नई पाबंदियों के न लगने के कारण प्रस्तावित 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भारत पर लागू होने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा कि यह बाजार के लिए स्पष्ट सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, S&P द्वारा भारत की क्रेडिट रेटिंग BBB- से ‘BBB’ में बढ़ाने से FPIs के दृष्टिकोण को और मजबूती मिलेगी।

FPIs ने बांड में किया मामूली निवेश, लेकिन जोखिम भरे शेयरों से निकासी जारी, भारतीय बाजार में बेचैनी का माहौल

जुलाई में भी रही निकासी

डेपॉजिटरी डेटा के अनुसार, FPIs ने जुलाई 2025 में भी भारतीय शेयर बाजार से 17,741 करोड़ रुपये की निकासी की थी। मार्च से जून तक के तीन महीनों में FPIs ने कुल 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के रिसर्च मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, FPIs की लगातार बिकवाली का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितताएँ हैं, जैसे भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका तथा विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दर के रुझान को लेकर अनिश्चितता।

डॉलर के मजबूत होने का असर

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट विजयकुमार (V.K.) ने बताया कि अमेरिकी डॉलर की हालिया मजबूती ने उभरते बाजारों जैसे भारत की आकर्षकता कम कर दी है। इसके अलावा, कंपनियों के कमजोर परिणाम और उच्च वैल्यूएशन ने FPIs को बिकवाली के लिए प्रेरित किया। इन कारणों से FPIs ने अगस्त में भारतीय शेयर बाजार से भारी निकासी की है।

बांड निवेश में मामूली रुचि

हालांकि, FPIs ने बांड में कुछ निवेश भी किया है। सामान्य सीमा के तहत इस अवधि में उन्होंने 4,469 करोड़ रुपये और वॉलंटरी रिटेंशन रूट के माध्यम से 232 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पता चलता है कि FPIs पूरी तरह से भारतीय वित्तीय बाजार से बाहर नहीं हुए हैं, लेकिन जोखिम वाले शेयरों से उनका रुख फिलहाल बिकवाली की ओर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

[the_ad id='305']